अनुभूति में तसलीम अहमद
की रचनाएँ-
नई रचनाएँ-
अंतर
एस्केलेटर
फ़ोन
शौहर बीवी
मुक्त छंद में-
परिचय
ज़िंदगी
मेरा गाँव
शादी
जीवन साथी
|
|
ज़िंदगी
ज़िंदगी नहीं यह, मजबूरी है,
अपनों से दूरी,
अधूरी,
हालात के घोड़े पर सवार,
अंतहीन डगर पर,
बेमक़सद, बेमंज़िल।
पल-पल मरने का एहसास,
कदम-कदम ठोकर।
परिचित चेहरे, अनगिनत दोस्त,
एक पल रुककर पूछते हैं-
ख़ैरियत हो भाई साहब?
'न' सुनने की फुर्सत किसे?
'हा' कहना ज़रूरी है।
२१ अप्रैल २००८ |