अनुभूति में तसलीम अहमद
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परिचय
पढ़ती हो?
हाँ।
कुछ लिखना-विखना?
चल रहा है।
खाने का शौक?
बचपन से खूब।
यात्राएँ करती हो?
हाँ।
कोई खास आदत?
सब कुछ जायज़... कुछ नहीं।
सवाल उसी शरारत से-
झगड़ालू हो?
वही गंभीरता-
हाँ।
मारती हूँ,
मन,
उम्मीदें,
सपने,
ख्वाहिशें।
२१ अप्रैल २००८ |