अनुभूति में
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दर्द का रिश्ता
पतंग की डोर
मेरी माँ
ऐ दोस्त |
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ए दोस्त
ए दोस्त
तुम जानते हो,
तुम्हारी हर
बात,
मेरी जिन्दगी के मायने बदल देती
है,
तुम्हारी हर
बात,
प्रेरणा होती है उस पल,
जब मै अकेले
में,
सिसक रही होती हूँ
जिन्दगी से हार कर। मै जानती हूँ,
उन विषम
परिस्थितियों में,
तुम कुछ भी नही
कर सकते,
मेरे लिये,
और यह भी कि,
सहना ही पड़ेगा
मुझको यह सब,
अकेले,
मगर फिर भी,
मुझे चाहत रहती
है,
सदैव
तुम्हारी
उपस्थिति की,
तुम्हारी मौजूदगी की। तुम्हारे होने
का यह
अहसास
मुझमें चाहत भर
देता है,
जीने की
और रास्ता बनाता
है,
उन कठिन
परिस्थितियों से,
उभर आने का,
सँभल जाने का।
9 जुलाई 2007
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