अनुभूति में डॉ.
शैलेन्द्र कुमार सक्सेना की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
पथिक
मैं संवेदनाओं से पूरित
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मैं संवेदनाओं
से पूरित
मैं संवेदनाओं से पूरित हूँ.
प्रेम से सिंचित हूँ।
माया मोह से घिरा
स्वार्थी भी किंचित हूँ।
साहस रखकर भी
पथ की दुरूहता से घबराता हूँ
पर न जाने
किस अज्ञात शक्ति से प्रेरित
आगे बढ़ा जाता हूँ
संबंधों की निकटता को
विस्मृत नहीं कर पाता हूँ
सम्मुख व्यक्ति के भावानुसार
अनुकूलित हो जाता हूँ
कठिनाइयों में से
बढ़ने को स्वप्न दृष्टा हूँ
रचनाओं को गढ़ने में
समय काल का सृष्टा हूँ
आत्म संतोष मिलता है
किसी असहाय का अवलंबन बनकर
पीड़ा होती है
इस विकृत व्यवस्था के बड़े–बड़े छिद्रों पर
पर क्या मैं इस काल के लिए
कुछ विशेष कर पाऊँगा
अंततः एक सामान्य मानव हूँ
मिथ्या जगत से उत्पन्न
इसी में विलीन हो जाऊँगा।
२४ नवंबर २००५ |