अनुभूति में
सत्येन्द्र कुमार अग्रवाल की
रचनाएँ -
छंदमुक्त में-
आँसू
न जाने वह कौन है
रुक जाओ अब इनसान
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आँसू
आँसू है जो ये जीवन के
गुज़रते बीतते वक़्त के गीले रंग हैं
कभी पालने की बोली थे ये
फिर बचपन की हट
आँसू है जो ये जीवन के
गुज़रते बीतते वक़्त के गीले रंग हैं
मिलते बिछुड़ते लोगों का संगम हैं ये
खुशियों और कष्टों का पहला संग हैं ये
जीवन की हर उथल पुथल का अंग हैं ये
जीवन के हर अंश के सप्तरंग हैं ये
आँसू है जो ये जीवन के
गुज़रते बीतते वक़्त के गीले रंग हैं
२६ अक्तूबर २००९
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