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अनुभूति में संजय सागर की रचनाएँ-

कविताओं में-
एक भोली-सी गाय
एक लड़की मुझे सताती है
कभी अलविदा न कहना
कल हो न हो
तेरी याद आती है
न जानूँ कि कौन हूँ मैं

 

कल हो न हो

आज एक बार फिर सूरज को उगता देखो
और चाँद को चाँदनी रात में जगता देखो
क्या पता कल ये धरती
चाँद और सूरज हो ना हों।

आज एक बार सबसे मुसकुरा के बात करो
बिताए हुए पलों को साथ-साथ याद करो
क्या पता ये कल बातें
और ये यादें हों ना हों।

आज एक बार फिर पुरानी बातों में खो जाओ
आज एक बार फिर पुरानी यादों में डूब जाओ
क्या पता कल से बातें
और यादें हों ना हों।

आज एक बार मंदिर हो आओ
पूजा करके प्रसाद चढ़ाओ
क्या पता कल के कलियुग में,
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो।

बारिश में आज खूब भीगो
झूम-झूम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुए बचपन की तरह
कल ये बारिश हो न हो।

आज हर काम खूब दिल लगाकर करों
उसे तय समय से पूरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं में ताक़त हो ना हो।

आज एक बार चैन की नींद सो जाओ
आज कोई अच्छा-सा सपना भी देखो
क्या पता कल ज़िंदगी में चैन
और आँखों में कोई सपना हो ना हो।

अगर चाहते हो किसी को
तो खुल कर इज़हार करो
क्या पता कल वो चाहत हो न हो।
क्या पता
कल हो ना हो।

9 दिसंबर 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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