कल हो न हो
आज एक बार फिर सूरज को उगता देखो
और चाँद को चाँदनी रात में जगता देखो
क्या पता कल ये धरती
चाँद और सूरज हो ना हों।
आज एक बार सबसे मुसकुरा के बात करो
बिताए हुए पलों को साथ-साथ याद करो
क्या पता ये कल बातें
और ये यादें हों ना हों।
आज एक बार फिर पुरानी बातों में खो जाओ
आज एक बार फिर पुरानी यादों में डूब जाओ
क्या पता कल से बातें
और यादें हों ना हों।
आज एक बार मंदिर हो आओ
पूजा करके प्रसाद चढ़ाओ
क्या पता कल के कलियुग में,
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो।
बारिश में आज खूब भीगो
झूम-झूम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुए बचपन की तरह
कल ये बारिश हो न हो।
आज हर काम खूब दिल लगाकर करों
उसे तय समय से पूरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं में ताक़त हो ना हो।
आज एक बार चैन की नींद सो जाओ
आज कोई अच्छा-सा सपना भी देखो
क्या पता कल ज़िंदगी में चैन
और आँखों में कोई सपना हो ना हो।
अगर चाहते हो किसी को
तो खुल कर इज़हार करो
क्या पता कल वो चाहत हो न हो।
क्या पता
कल हो ना हो।
9
दिसंबर 2007
|