अनुभूति में जगदीश जोशी 'साधक'
की रचनाएँ-
देख कर यह हौसला
आदमी का आचरण
जहाँ में किसी का सहारा
ये भी हसरत
मिलता नहीं है
मुश्किलों से
हमको जीना
हवा के झोंके
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आदमी का आचरण
आदमी का आचरण बदला हुआ है
आज का वातावरण बदला हुआ है
पश्चिमी तहजीब को अब सीख करके
जिंदगी का व्याकरण बदला हुआ है
देखता हूँ जिस तरफ भी ज़िंदगी
हर किसी का आचरण बदला हुआ है
मजहबों में आदमी को बाँट करके
धर्म का अब जागरण बदला हुआ है
आदमी ने जग में तो की है तरक्की
आज रण में आचरण बदला हुआ है
८ अगस्त २००३ |