अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में राजश्री की रचनाएँ

आसमान
धर्म
नौजवानों
पिताजी के लिए

 

 

 

नौजवानों

हे नौजवानों हे विद्यार्थियों,
मुसकुराकर अपने कदम को बढ़ाओ,
मत हो हताश, आलस में न दिन बिताओ,
अपने में छिपी हुई शक्ति को पहचानना है,
सही इस्तेमाल कर उसे व्यर्थ न गँवाना है।
इस जीवन में उठाने है तुम्हें महत्वपूर्ण कदम,
सोच समझकर करो फैसला, बहक न जाए कदम,
अपनी ज़िंदगी को तुम्हें खुद सँवारना है,
काँटों से भरे रास्तों को फूलों से भरना है।
हर मुमकिन ख़्वाबों को हक़ीक़त में बदलना है,
अच्छे काम कर सब के होंठों पर मुस्कुराहट लाना है,
तुम्हें इस देश को उस बुलंदी तक ले जाना है,
देख जिसे पूरा संसार ईर्ष्या से जल उठे।
तो नौजवानों देर किस बात की
आत्मविश्वास के साथ जुट जाओ।
यह देश है हमारी धरोहर
इसकी रक्षा के लिए तैयार हो जाओ।
माता-पिता, गुरुजनों की तुम पर है टिकी आस,
नहीं डरो किसी से, तुम पर हम सबको है विश्वास।

9 अगस्त 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter