अनुभूति में राजश्री की रचनाएँ
आसमान
धर्म
नौजवानों
पिताजी के लिए
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नौजवानों
हे नौजवानों हे विद्यार्थियों,
मुसकुराकर
अपने कदम को बढ़ाओ,
मत हो हताश, आलस में न दिन बिताओ,
अपने में छिपी हुई शक्ति को पहचानना है,
सही इस्तेमाल कर उसे व्यर्थ न गँवाना है।
इस जीवन में उठाने है तुम्हें महत्वपूर्ण कदम,
सोच समझकर करो फैसला, बहक न जाए कदम,
अपनी ज़िंदगी को तुम्हें खुद सँवारना है,
काँटों से भरे रास्तों को फूलों से भरना है।
हर मुमकिन ख़्वाबों को हक़ीक़त में बदलना है,
अच्छे काम कर सब के होंठों पर मुस्कुराहट लाना है,
तुम्हें इस देश को उस बुलंदी तक ले जाना है,
देख जिसे पूरा संसार ईर्ष्या से जल उठे।
तो नौजवानों देर किस बात की
आत्मविश्वास के साथ जुट जाओ।
यह देश है हमारी धरोहर
इसकी रक्षा के लिए तैयार हो जाओ।
माता-पिता, गुरुजनों की तुम पर है टिकी आस,
नहीं डरो किसी से, तुम पर हम सबको है विश्वास।
9 अगस्त 2007
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