अनुभूति में राजश्री की रचनाएँ
आसमान
धर्म
नौजवानों
पिताजी के लिए
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धर्म
दो अक्षर का यह शब्द है गर,
अर्थ इसका गहरा है मगर,
इस शब्द का आज के युग में,
बना हुआ है फ़साना जग में।
चाहे कोई भी धर्म हो,
या नीति की किताबें हो।
बताते हैं एक ही सार,
अहिंसा, परोपकार, आपस में प्यार।
जागो जग के वासियों,
इस बात पर बहस फ़िज़ूल है,
धर्म के नाम पर लड़ना मूर्खता है,
राम, रहीम, ईशु एक जगत्राता है,
क्योंकि हर रमज़ान में राम और
हर दिवाली में अली है।
9
अगस्त 2007
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