अनुभूति में राजीव कुमार की कविताएँ
कविताओं में-
आज लगा
भूमंडल पर
स्नेह की देवी
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भूमंडल पर
भू-मंडल पर नभ से धरा तक
कुछ लोगों मे ये सोच है
मानवता को दूर हटा कर
स्वार्थ हितों की पोर हैं ||
प्यारे मित्रों और बंधु को
जान कभी ना पाओगे
जब-जब समय विकट होगा
ना निकट किसी को पाओगे ||
रक्त के रिश्ते झूठे होंगे
पास कोई ना आएगा
सखी-सखाएँ सब छूटेंगे
साया भी घबराएगा
दिवास्वप्न जब टूट जाए तो
समझ ये तेरी बारी है
गिन-गिन भर ले प्रतिशोध भावना
इस जग की संख्या भारी है
पड़ता हो यदि फिर भी तुझ पर
मानवता का रुष्ट प्रहार
विष को विष, स्वजनों को प्यार
हाँ कर ले यही युक्ति स्वीकार
युद्ध लिप्सा मे घेर ले स्वयं को
ले तू अपने मन में ठान
जो भी होगा अच्छा होगा
होगा स्वयं तेरा अपना त्राण
24 नवंबर 2007
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