आज लगा
आज लगा मुझे कुछ ऐसा
सूरज है ढला मेरा दिन में
मै पागल ही था मै गलत ही था
जो सोचा सब रख लूँ दिल में
सवर्ण वेला जब आएगी
सब हँसेंगे सारे मेरे बिन
घबराकर फिर चल देता हूं
निकट मृत्यु के एक और दिन
आँखों मे अब आँसू हैं
बोल मेरे लडखड़ा उठे
मै जिसको भी अब देखता हूं
मुझे सबसे प्यारा वो ही लगे
मुझे गम ये नही कि मर मै रहा
बस जीवन पल रहा उँगलियों पे गिन
घबराकर फिर चल देता हूं
निकट मृत्यु के एक और दिन
24 नवंबर 2007