अनुभूति में
पंकज कोहली की
रचनाएँ-
तुम सा बन
जाऊँ
दशा
त्रासदी
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दशा
जो शव जल चुका
राख उसकी में तलाश किसकी
श्वास चल रहे किन्तु
यह काया इतनी हताश किसकी
बंजर उद्यान के पत्थरों को
सावन में यह प्यास किसकी
हारे हर एक रोम से
उस अनंत की अरदास किसकी
उज्ज्वल अतीत में अदृश्य
काली यह पहचान किसकी
अश्रुओं के नींव पर खड़ी
कृत्रिम यह मुस्कान किसकी
स्वयं को बचाने में लगी हुई
निर्लज यह लाज किसकी
जिस ताज की ललिमा धुलित
वह सत्ता आज किसकी
अपार साहस के पराजय की
भीषण यह चाल किसकी
मानव जिसपर नाच रहा
वह सुर किसका, वह ताल किसकी १ सितंबर २००४ |