अनुभूति में मनीष
जैन की रचनाएँ
छंदमुक्त में—
कविता वास्तविकता
तुकांत में-
प्यारे नाना जी
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प्यारे
नानाजी
प्यारेप्यारे नानाजी
ऐनक वाले नानाजी।
नानाजी अब जल्दी आओ
गुड़िया और खिलौने लाओ।
नई ड्रेस एक सिपाही वाली
गजक भी लाना नानाजी ।
सुनने कहानी मैं परियों वाली
अब तरस गया हूँ नानाजी।
जोकर सर्कस में दिखलाना
झूले में भी तुम झुलवाना।
छुट्टियाँ हो गई अब नानाजी
आओगे फिर कब नानाजी।
नींद नहीं जब आती मुझको
लोरी कौन सुनाये जी।
मम्मी की जब पड़ती डाँट
तो कौन बचाये नानाजी।
गोदी में मुझको लेकर
अब कौन घुमाये नानाजी।
अगर नहीं अब आये तो
रो दूँगा मैं नानाजी।
९ अप्रैल २००५
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