अनुभूति में
महिमा
बोकारिया की रचनाएँ-
कोई क्या करेगा प्रीत का अंकन
जिस मोड़ से गुज़रो
प्रतीक्षा के पल
बना रहूँ सदा मनमीत
राही, तुम ठहरना बस दो पल |
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राही, तुम ठहरना बस दो पल
समय बहता जाता कल कल
राही तुम ठहरना बस दो पल।।
करनी तुम से कुछ बातें
अतीत बन गई मुलाक़ातें
उनको जीवंत करने दे दो ये पल।।
तुम मशरूफ़ अपनी चाह में
हम खड़े वहीं उसी राह में
ये सोच, शायद मेहरबा, हो कोई पल।।
ज़्यादा वक्त नहीं लेना तुम्हारा
बस पलकों में छुपाना अक्स तुम्हारा
जाने फिर कब तुम लौटो और कब ये पल।।
24 दिसंबर 2007
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