अनुभूति में
चंदन सेन की रचनाएँ —
अभिव्यक्ति
आज़ादी का जश्न
कैसा
हो सावन |
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आज़ादी का जश्न
कैसे आज़ादी का जश्न मनाएँ
आज़ाद होकर?
छात्र बोला –
कुछ क्लासें 'बन्द' करते हैं
कर्मचारी बोला –
आओ आज 'फ्रेंच लीव' भरते हैं
नहीं आज तो बस टीवी देखें
कुछ कच्चे भुट्टे सेंकें
कुछ अच्छा खाना
कहीं घूमने जाना
लेकिन बाहर तो बरस रहा है पानी
क्यों न करें कुछ अपनी मनमानी
चलो कुछ पंछी उड़ाएँ
मन को खुले आकाश से जोड़ें
क्यों न आज "सिगरेट और गुटखा" छोड़ें
गंदी आदतों से छुटकारा पाएँ
शहर की सड़ी दुर्गन्ध को दूर भगाएँ
कुछ कर गुज़रने की मुश्किलों से
लड़ने की ताकत जुटाएँ
आओ! कुछ भूखों को रोटी बांटें
सुख दुःख की घड़ियाँ साथ में काटें
प्रार्थना को प्रयत्न में मिलाएँ
अँधेरों में रोशनी जगाएँ
आज मिले 'सुर मेरा तुम्हारा'
कहें मेरा देश 'महान' का नारा
लड़ें नहीं लडाएँ नहीं
पढ़े और पढ़ाएँ
आओ मिलकर आज़ादी का जश्न मनाएँ
२४ दिसंबर २००४
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