अनुभूति में
अंशुमान शुक्ला
की रचनाएँ—
तुकांत में-
मन का गीत
जन्मदिवस का उपहार
संकलन में-
होली है-
होली आज मनाना है
गुच्छे भर अमलतास–तेज
धूप में, छत पर |
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जन्मदिवस का
उपहार
जीवन के हर मोड़ पर साथी
याद मुझे तुम कर लेना
जो भटक जाओे गर राहों से
तो साथ मुझे तुम कर लेना
राहों के हर पत्थर को मैं
धूल बना बिखरा दूँगा
काटों के रस्तों को भी मैं
फूलो सा महका दूँगा
खुशियों के तो साथी सब हैं
दुख दर्द मे सहारा कर लेना
जब लगे कि दिल टूटा सा है
इस दिल से गुजारा कर लेना
दुख के बादल से भी मैं
खुशियो के गीत बरसा दूँगा
सुन्दर सपनो की बातों को
मै सच कर के दिखला दूँगा
इन शब्दों के हर अंशों को
स्वीकार हृदय से कर लेना
जन्म दिवस के उपहारों में ये
उपहार हमारा भी लेना
१६ अप्रैल २००२
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