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अनुभूति में अखिलेश सिन्हा की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
मोक्ष
प्रेम
हिन्दू मुस्लिम

 

प्रेम

मेरे आँगन से दूर
और रास्ते से अलग
कब से खड़ा
वो अनजान सा पेड़

पर न जाने क्यों
कल से अचानक
उसके पत्ते मुझे प्यारे लगे
और पूजने लगा हूँ मैं
उसकी जड़ों को

जब से सुना है कि
इक दिन इसी वृक्ष ने
तुम्हे अपनी छाया दी थी।

१ जनवरी २००१

 

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