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यादों का धुआँ
यादों का धुआँ आज फिर,
मेरी पलकों से कुछ आँसू
गिरा गया।
फिर वो भूली यादों का कारवाँ,
मेरे आज से कुछ लम्हे चुरा गया।
आज फिर कुछ लफ़्ज़ मेरे
होंठो तक आकर रुक गए।
फिर कुछ अनकही बातें
सुन लेने को कदम रुक गए।
आज फिर देखता हूँ मुड़कर
शायद कोई पुकारता हो।
फिर कुछ कदमों के फ़ासले पर
जाकर कदम मुड़ गए।
यादों का धुआँ आज फिर, उ
न कदमों की आहट सुना गया।
यादों का धुआँ आज फिर,
मेरी पलकों से कुछ आँसू गिरा गया।
9 मार्च 2007
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