अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में आदिश जैन की कविताएँ

फूल
प्यार भरा जहाँ
यादों का धुआँ

 

प्यार भरा जहाँ

उड़ रहा है पंछी आज़ाद गगन में,
अपनी ही धुन में।
न छल, न कपट, और न ही कोई
डर उसके मन में।
कहता है जो देख रहा हूँ इस दुनिया में,
अच्छा था आँखे ही न होती मेरी आज।
मर गई है इंसानियत आदमी की,
बैठ गया है शैतान आदमी के सिर पर आज।
इसीलिए उड़ रहा हूँ, उड़ा ही जा रहा हूँ,
रुक ना रहा हूँ कहीं पर।
कर रहा हूँ तलाश एक ऐसे जहाँ की,
प्यार ही प्यार होगा जहाँ पर।
जहाँ भाई न भाई का खून बहा रहा होगा,
जहाँ न नफ़रत की आग में
वो ज़िंदा लोगों को जला रहा होगा।
जहाँ खुश होगा आदमी थोड़ा मिलने पर भी,
जहाँ न कोई भी किसी और के
हक को छीनकर खा रहा होगा।।
जहाँ रहता होगा खुदा हर आदमी के सीने में,
जहाँ न मंदिर मस्जिद के नाम पर झगड़े होते होंगे।
जहाँ दर्द समझता होगा हर कोई किसी का,
जहाँ खुशी में ही नहीं, गम में भी लोग मुस्कराते होंगे।।
वरना जीना है मुश्किल इस नफ़रत भरी दुनिया में,
इसीलिए इस दुनिया से दूर जा रहा हूँ।
शायद मिल जाए कहीं एक ऐसा ही जहाँ ज़मीं पर,
बस उसी की तलाश में उड़ा जा रहा हूँ।
बस उड़ता ही जा रहा हूँ. . . . .

9 मार्च 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter