१
धूप ने उसे
हौले से सहलाया
बर्फ पिघली
— अनूप भार्गव
३१ दिसंबर २००५
१ |
|
१
शहर बना
रेफरीजरेटर
इस शीत में
— शरद तैलंग
३१ दिसंबर २००५
१
|
|
१
धूप जाँचती
ऋतुओं की शाला में
जाड़े की कापी
—पूर्णिमा वर्मन
३१ दिसंबर २००५
१ |
|
१
दूध में धुली
सफ़ेद चुनरिया
ओढ़े धरती।
—देवी नांगरानी
३१ दिसंबर २००५
|
|
१
सर्दी अलाव
शरद महोत्सव
मनभावन
—राजेन्द्र तिवारी
३१ दिसंबर २००५
|
|
१
तुहिन धरे
चंद्रिका ठिठुरती
है मौन चांद
—दीपिका ओझल
३१ दिसंबर २००५
|
|
१
बर्फ के लड्डू
आकाश की परात
हाथ से छूटी
—हरिहर झा
२८ दिसंबर २००५
१ |
|
१
आवारा धुंध
ढांप रही झील का
ठंडा बदन।
—पुरवा पांडे
२९ दिसंबर २००५
१ |
|
१
सर्दी की धूप
ठंडी हवा का झोंका
मन क्यों चौंका
—प्रदीप मैथानी
३० दिसंबर २००५
१
|
|
१
बड़े दिन का
बड़े दिनों के बाद
आना हुआ है।
—रेणु आहूजा
२५ दिसंबर २००५
|
|
१
दूधिया बर्फ
झरती गगन से
सर्दी के तीर
—धनपत राय झा
२६ दिसंबर २००५
|
|
१
sसर्द सवेरा
ओढ़ कर आई है
शीत दुल्हन
—संगीता मनराल
२७ दिसंबर २००५
|
|
|