अनुभूति में
डॉ. भगवत शरण अग्रवाल की रचनाएँ-
नई रचनाओं मे-
कुछ और हाइकु
हाइकु में
दस हाइकु
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कुछ और
हाइकु
भूल जाऊँगा
रतजगों से कहो
पीछा छोड़ दें ।
अकेलापन
मन -दर्पण यादें-
चन्दन वन ।
कुलबुलाते
अँखियों में सपने
मीठी यादों के ।
साथ न जाते
यादों के कफ़न भी
भूलना अच्छा ।
जब भी कोई
फूल खिला बाग़ में
तू याद आया ।
तुम्हारी यादें
रात-रात करतीं
फूलों से बातें
याद तो होगा
पुस्तकें बदलना
पृष्ठों में फूल ।
जिन द्वारों पे
दस्तकें दीं ताउम्र
कोई न था ।
९ जुलाई २०१२ |