अनुभूति में अश्विन गांधी की कविताएँ-
नई रचनाओं में- कारवाँ खुशी और दर्द सूरज ढलता है छंदमुक्त में- अपनी खुशी के लिये अनुभूति एक साल की ओ अनुभूति! जनमदिन मुबारक तुझे कोई आता नहीं बुढ़ापा मध्य समंदर मुझे कुछ कहना है अनुभूति तुम्हारी हो या हमारी मेरा दोस्त मेरा आसमाँ
संकलन में- वसंती हवा – गीत वसंत के धूप के पांव – गरमी गांव में अलाव – आज सुबह गुच्छे भर अमलतास–सोचता हूँ पिता की तस्वीर– शिवास्ते पंथानः सन्तु ज्योति पर्व– एक दिया जले – कोटि कोटि दीप जलें नया साल– नया साल आने को है ममतामयी– माँ प्यारी माँ क्षणिकाओं में- पतंग आँखों से
मुक्त (तीन हाइकु)
एक
हम पंछी हैं खुला आकाश घर मुक्त विहारी
दो
जो भी कहा मुक्त कहा दिल से न बाँधो हमें
तीन
बदलते हैं दिवस रात साथ और इनसान?
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