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अनुभूति में योगेन्द्र प्रताप मौर्य की रचनाएँ

गीतों में-
कंकरीट का फर्श
कोहारों की नगरी
चुभते रहे बिछौने
दूर देश से बादल आए
मौन खड़ा क़ानून

 

दूर देश से बादल लाए

दूर देश से बादल लाए
आँचल में भर पानी
डूब-डूबकर धरा नहायी
लगती है मस्तानी

बड़ा मनोरम दृश्य यहाँ का
सजती और सँवरती
देखो आज हवा भी कैसी
हिरण चौकड़ी भरती

और बुलबुले मिलकर करती
हैं ध्वनियाँ मनमानी

देखो नभ ने इन्द्र धनुष के
सुंदर चित्र उकेरे
नव पल्लव के हर पेड़ों पर
फिर से हुए बसेरे

बड़ी निराली छंटा प्रकृति की
चढ़ती नयी जवानी

१ नवंबर २०१९

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