अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में डॉ. टी. महादेव राव की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
हादसा और मुंबई कुछ कविताएँ

गीतों में-
आशा गीत
क्यों नहीं ये अश्रु बहते
प्रीत के मधुमास हो गए
भामिनी तुम
वृष्टि का गीत

  क्‍यों नहीं ये अश्रु बहते

क्‍यों नहीं ये अश्रु बहते

नयन भिंगाते रक्‍त-संबंध
जि‍नमें बसी बस स्‍वार्थगंध
अपरि‍चि‍त बन गए सब युगीन मोह माया सहते
क्‍यों नहीं ये अश्रु बहते

हृदय की यह पीडा कौन सुनें
क्‍यों कोई दर्द के कारण गुनें
एकाकी मन का भरम यह सब कोई अपना ही कहते
क्‍यों नहीं ये अश्रु बहते

जीवनोद्यान मरुथल बन गया है
सूख अब यह उद्यानवन गया है
मधुबन पर है पतझड सदि‍याँ हुई इसे महकते
क्‍यों नहीं ये अश्रु बहते

१८ जनवरी २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter