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अनुभूति में रामाज्ञा राय 'शशिधर'
की रचनाएँ -


गीतों में-
किस्से में ही धूप करूँगा
नकली हस्ताक्षर से
मनपसंद वह रंग तुम्हारा

 

 

मनपसंद वह रंग तुम्हारा

शाम हुई, थक गए पाँव
लौटा मन को मार
मनपसंद वह रंग तुम्हारा
मिला नहीं इस बार!

ऐसे तो थे रंग बहुत-से
छितराए बाकी के
छिपे हुए थे लेकिन सब में
संवेदन चालाकी के
हर तख्ती पर खुदा हुआ था
कंची, प्रेम, उधार!

चौंध-चौंध जाती थीं आँखें
उन बिखरी आबों में
कोई रंग नहीं धँस पाया
फिर भी ख्वाबों में
पता नहीं दे पाए
बंडल भर रद्दी अखबार!
माफ करो मैं शर्मिंदा हूँ
नहीं निभाने से
पकी घास गाढी पुरबा-सा
खोज न पाने से
धीरे-धीरे झड़ जाएगा
नकली चढा खुमार!

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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