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अनुभूति में संजीव निगम की रचनाएँ—

गीतों में-
ओ हवाओं थाम लो
मन टीवी तन डिस्को
रात मुझे था चंदा दीखा
रेस के घोड़े

 

रात मुझे था चंदी दीखा

रात मुझे था चंदा दीखा,
फूले फूले फुलके जैसा।
कहीं कहीं से आढ़ा तिरछा,
कहीं कहीं से जला जला सा।

मेहनत आटा, मिला पसीना
दो हाथों से जम कर गूंथा
कड़ी धूप में उलटा पलटा
दो रोटी को जम कर सेंका
पूरा दिन भर जलते बुझते
खुद ही चूल्हा, खुद ही चौका
पेट की थाली, फिर भी खाली
जाने है ये चक्कर कैसा

अपनी किस्मत, सूखे टिक्कड़
उन पर भी गिद्धों का पहरा
डरते-छिपते खाने में ही
जाता अपना साँझ सवेरा
पैनी चोंच, नुकीले नाखून
बचना उनसे आफत ठहरा
अपना हिस्सा हक़ हो अपना
जाने किस दिन होगा ऐसा

१६ जनवरी २०१२

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