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अनुभूति में रजनी मोरवाल की रचनाएँ-

गीतों में-
आँधियाँ चलने लगीं हैं
कौन समझ पाया है
ज़िन्दगी का मोल
राह कठिन है जीवन की
रिश्तों का आधार

 

आँधियाँ चलने लगीं

आँधियाँ
चलने लगीं हैं फिर हमारे गाँव

झर रहे खामोश
पत्ते उम्र से ज्यों छिन
ज़िंदगी के चार में से
रह गए दो दिन

खेत की किन क्यारियों में
खो गई है छाँव ?

खेत सूखे
जा रहे हैं, भूख से ज्यों देह
मोर बैठा ताकता है
रिक्त होते मेह

बोझ से जख्मी हुए
पगडंडियों के पाँव

रेत ने सब
लील डाली है नदी की धार,
भोगनी पड़ती गरीबों
को दुखों की मार

ठूँठ होती
टहनियों पर चील ढूँढे ठाँव

२२ जुलाई २०१३

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