मधुकर अष्ठाना
नवगीत संग्रह-
* न जाने क्या हुआ मन को
* और कितनी देर
* वक्त आदमखोर
* मुट्ठी भर अस्थियाँ
* बचे नहीं मानस के हंस
* दर्द जोगिया ठहर गया
* कुछ तो कीजिये
* हाशिये समय के
* खाली हाथ कबीर
* पहने हुए धूप के चेहरे
इसके अतिरिक्त भोजपुरी गीत संग्रह- सिकहर से भिनसहरा, गज़ल
संग्रह- गुलशन से बयाबाँ सहित २६ काव्य संकलनों तथा निबंध
संग्रहों के साथ उत्तरायण पत्रिका के सहयोगी संपादक, अपरिहार्य
पत्रिका में अतिथि संपादक और अभिज्ञानम पत्रिका के उप संपादक।
पुरस्कार व सम्मान-
उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण पुरस्कार, बलवीर
सिंह रंग सम्मन तथा निराला नामित सम्मान, राज्य कर्मचारी
साहित्य संस्थान उ.प्र. द्वारा महादेवी वर्मा पुरस्कार एवं
ससंथा अक्षरा द्वारा डॉ. माहेश्वर तिवारी नवगीत सृजन सम्मान
सहित अनेक सम्मान व पुरस्कार।
संप्रति-
उत्तर प्रदेश सरकार के परिवार कल्याण विभाग से सेवानिवृत्त
होने के बाद लखनऊ में स्वतंत्र लेखन।
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अनुभूति में
मधुकर अष्ठाना
की रचनाएँ
गीतों में-
पढ़ पढ़ कथा तुम्हारी
बकरी है यह
बढ़ता गया हिसाब
राजा मरने वाला है
रावण वही
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