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अनुभूति में मधुकर अष्ठाना की रचनाएँ

कविताओं में-
पढ़ पढ़ कथा तुम्हारी
बकरी है यह
बढ़ता गया हिसाब
राजा मरने वाला है
रावण वही

 

बढ़ता गया हिसाब

मिला किसे उपचार
यहाँ माथे की सलवट का
बढ़ता गया हिसाब रात भर
सीली करवट का

ऊपर धुँवा आग
है नीचे पछुवा में तेजी
मिली न पाती खुशबू की जो
पुरूवा ने भेजी
खेल मदारी का है अपना
अभिनय मरकट का

बिके हुए सामन्‍त
सहायक सारे बाहुबली
जिन्‍दा बम के सम्‍मुख क्‍या
अल्‍ला बजरंग बली
देख रहे युग-युग से रंग
बदलना गिरगिट का

निर्भय तंत्र लोक
घायल है पंख विहीन परिन्‍दा
ऊपर बाज शिकारी नीचे
किस्‍मत से हैं जिन्‍दा
अभी न अप्रिय जीवन टालें
निर्णय लम्‍पट का

१० अक्तूबर २०११

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