अनुभूति में
मधु भारतीय की रचनाएँ-
गीतों में-
कुहरे ढँकी किरण वधु
तुम नहीं आए
दुग्ध धवल केशों में
हरे भरे तट छोड़
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दुग्ध धवल केशों
में
दुग्ध धवल केशों में यह
सिंदूरी माँग ललाम
गंगा की रेती पर उतरी
ज्यों ललछौंही शाम!
लाख भुलाए, पर अतीत के
आए मँडराए
प्रेम-पगे रसवंत गीत
बेसुर, बिन लय गाए
प्रेम-पत्र भेजा प्रेषक
ने
छिपा पता, निज नाम!
महाकाव्य रचना था, पर कुछ
मुक्तक लिखे गए
फगुनाए वासंती वन में
पतझर उगे नए
अवचेतन दर्पण में उभरे
फूल, शूल बदनाम!
अंत समय मुखरित मनुहारें
रसखानी गा ले
प्रेम दिवानी मीरा-सी
विष पी, जीवन पा ले
गंगा-जमुनी अंखियों से पी
महुआरे कुछ जाम!
२६ जुलाई २०१०
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