अनुभूति में
कुँवर रतन सिंह
की रचनाएँ-
गीतों में-
ग्राम्य गीत
फाल्गुनी प्रार्थना
बिन तुम्हारे कुछ न सुंदर
विलम्बित भोर
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ग्राम्य गीत
धान लगाती बाला
मार कछौटा धान लगाती
कजरी गाती बाला
सावन में भी फाग खेलता
मेघ हुआ मतवाला
कच, कुच औ' कटि पर से ऐसे
टपके जल की माला
भभके में से टपके जैसे
बूँद-बूँद कर हाला
कदली-कुन्द सरीखा फिर-फिर
कर कीचड़ में मेले
हँसिए-सा चन्दा बदली में
लुका-छुपी ज्यों खेले
दूजे कर से बड़े जतन से
कुछ यों पौध सँभाली
कंवलनाल ज्यों दबा चोच में
तैरे कोई मृणाली
उंड़सी हुई कमर में चूनर
उड़े पवन में ऐसे
थिरकैया दे-दे कर नाचे
कहीँ मयूरी जैसे
ओ मेघो! इसके श्रम पर भी
दया-दृष्टि कर देना
इन खेतों की फसलों पर तुम
स्वर्ण-वृष्टि कर देना
१ जुलाई २०१७ |