अनुभूति में
धनंजय सिंह की रचनाएँ-
गीतों में-
दिन क्यों बीत गए
ध्वन्यालोकी प्रियंवदाएँ
पानी थरथराता है
बेच दिये हैं मीठे सपने
भाव विहग
मधुमय आलाप
मौन की चादर
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बेच दिए हैं
मीठे सपने
हमने तो
अनुभव के हाथ
बेच दिए हैं मीठे सपने
सूरज के
छिपने के बाद
हुए बहुत मौलिक अनुवाद
सुबह
लिखे पृष्ठ लगे छपने
स्वर्ण कलश
हाथ से छुटे
रोटी के दाम हम लुटे
ऊँचे-ऊँचे
सार्थक मनोबल
बैठ गए हैं माल जपने
२३ अप्रैल २०१२
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