अनुभूति में
देवेंद्र
कुमार
की रचनाएँ-
गीतों में-
अँधेरे की व्यथा
एक पेड़ चाँदनी
चाँदी के तार
बौरों के दिन
धूप में
यह अकाल इंद्रधनुष
यह अगहन की शाम
हमको भी आता है
हम ठहरे गाँव के
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एक पेड़ चाँदनी
एक पेड़ चाँदनी
लगाया है आँगने
फूले तो आ जाना
एक फूल माँगने
ढिबरी की लौ
जैसी लीक चली आ रही
बादल का रोना है
बिजली शरमा रही
मेरा घर छाया है तेरे सुहाग ने ..।।
तन कातिक मन अगहन
बार-बार हो रहा
मुझमें तेरा कुआर
जैसे कुछ बो रहा
रहने दो यह हिसाब कर लेना बाद में.. ।।
नदी, झील सागर से
रिश्ते मत जोड़ना
लहरों को आता है
यहाँ वहाँ छोड़ना
मुझको पहुँचाया है तुम तक अनुराग ने.. ।।
६ फरवरी २०१२
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