अनुभूति में
अवनीश सिंह चौहान की
रचनाएँ- गीतों में-
खोले अपना खाता
तुम न आए
पिता
मन पतंग
मेरे लिये
रंग-गंध के गाँव में
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पिता
नदिया में मुझको नहलाया
झूले में मुझको झुलवाया
पीड़ा में मुझको सहलाए
पिता हमाए
तरह-तरह की चीजें लाते
सबसे पहले मुझे खिलाते
कभी-कभी खुद भी ना खाए
पिता हमाए
मैं रोया तो मुझे चुपाते
दुनियाँ की बातें समझाते
औ' जीने की कला सिखाए
पिता हमाए
जब से मैं भी पिता बना हूँ
पापा-सा वह शब्द सुना हूँ
पिता-बोध् स्मृति में आए
पिता कहाए
२३ अगस्त २०१० |