गिरिजाकुमार
माथुर
गिरिजा कुमार माथुर का जन्म
१९१९ में ग्वालियर जिले के अशोक नगर कस्बे में हुआ। एम. ए.,
एल.एल.बी. तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वकालत की, दिल्ली में
आकाशवाणी में काम किया और फिर अमरीका चले गए। लौट कर फिर दिल्ली
आए और आकाशवाणी प्रतिनिधि-मंडल के सदस्य बन कर अनेक देशों में
घूमे।
कविता के अतिरिक्त वे एकांकी
नाटक, आलोचना, गीति-काव्य तथा शास्त्रीय विषयों पर भी लिखते रहे
हैं। मंदार, मंजीर, नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख चमकीले
आदि काव्य-संग्रह तथा खंड काव्य पृथ्वीकल्प प्रकाशित।
१९९१ में आपको कविता संग्रह "मै
वक्त के सामने" के लिए हिंदी का "साहित्य अकादमी पुरस्कार" तथा
१९९३ में के के बिरला फ़ाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला
प्रतिष्ठित "व्यास सम्मान" प्रदान किया गया। आपको शलाका पुरस्कार
से भी सम्मानित किया जा चुका है।
गिरिजाकुमार माथुर की समग्र
काव्य यात्रा से परिचित होने के लिए उनकी पुस्तक "मुझे और अभी
कहना है" अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
१० जनवरी १९९४ को नई दिल्ली मे
उनका निधन हुआ।
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अनुभूति में
गिरिजाकुमार माथुर की रचनाएँ-
गीतों में-
कौन थकान हरे जीवन की
छाया मत छूना
कविताओं में-
आज हैं केसर रंग रंगे वन
चूड़ी का टुकड़ा
ढाकबनी
नया कवि
पन्द्रह अगस्त
बरसों के बाद कभी
संकलन में-
वर्षा मंगल- भीगा
दिन
मेरा भारत-
हम होंगे कामयाब
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