अनुभूति में
सुदामा पांडेय 'धूमिल' की रचनाएँ-
कविताओं में--
किस्सा जनतंत्र
खेवली
गाँव
घर में वापसी
चुनाव
दिनचर्या
नगरकथा
प्रस्ताव
भूख
मैमन सिंह
मोचीराम
लोहसाँय
सिलसिला
|
|
नगरकथा
सभी दुःखी हैं
सबकी वीर्य-वाहिनी नलियाँ
सायकिलों से रगड़-रगड़ कर
पिंची हुई हैं
दौड़ रहे हैं सब
सम जड़त्व की विषम प्रतिक्रिया
सबकी आँखें सजल
मुट्ठियाँ भिंची हुई हैं।
व्यक्तित्वों की पृष्ठ-भूमि में
तुमुल नगर-संघर्ष मचा है
आदिम पर्यायों का परिचर
विवश आदमी
जहाँ बचा है।
बौने पद-चिह्नों से अंकित
उखड़े हुए मील के पत्थर
मोड़-मोड़ पर दीख रहे हैं
राहों के उदास ब्रह्मा-मुख
'नेति-नेति' कह
चीख रहे हैं।
|