अनुभूति में
भारत भूषण की रचनाएँ-
गीतों में-
अब खोजनी है
आज पहली बात
चक्की पर गेहूँ
जिस दिन बिछड़ गया
जिस पल तेरी याद सताए
जैसे पूजा में आँख भरे
तू मन अनमना न कर
बनफूल
मनवंशी
मेरी नींद चुराने वाले
मेरे मन-मिरगा
ये असंगति जिंदगी के द्वार
ये उर सागर के सीप
राम की जल समाधि
लो एक बजा
सौ सौ जनम प्रतीक्षा
हर ओर कलियुग
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मेरे मन
मिरगा मेरे मन-मिरगा नहीं मचल
हर दिशि केवल मृगजल-मृगजल!
प्रतिमाओं का इतिहास यही
उनको कोई भी प्यास नहीं
तू जीवन भर मंदिर-मंदिर
बिखराता फिर अपना दृगजल!
खौलते हुए उन्मादों को
अनुप्रास बने अपराधों को
निश्चित है बाँध न पाएगा
झीने-से रेशम का आँचल!
भीगी पलकें भीगा तकिया
भावुकता ने उपहार दिया
सिर माथे चढा इसे भी तू
ये तेरी पूजा का प्रतिफल!
१९ दिसंबर २०११ |