अनुभूति में
सुशील शर्मा की रचनाएँ-
गीतों में-
खिलखिलाती फूल सी
फूल खिलें जब
सूना पल
सूरज को आना होगा
है अकेलापन
कुंडलिया में-
मकर संक्रांति
दोहों में-
फूले फूल पलाश
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फूले फूल
पलाश
भ्रमर धरा पर झूम कर, बैठा फूलों पास।
कली खिली कचनार की, फूले फूल पलाश।
टेसू दहका डाल पर, महुआ खुशबू देय।
सरसों फूली खेत में, पिया बलैयाँ लेय।
बागों में पुलकित कली, मंद मंद मुस्काय।
ऋतु आई मधुमास की, प्रीत खड़ी शरमाय।
पुरवाई गाती फिरे, देखो राग बसंत।
जल्दी आओ बाग़ में, भूल गए क्या कंत।
पीत वसन पहने धरा, सरसों का परिधान।
अमवा बौरा कर खिले, पिया अधर मुस्कान।
ना जाने कब आयेगें, पिया गए परदेश।
ऋतु बसंत आँगन खड़ो, आया नहिं सन्देश।
१५ मार्च
२०१७
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