अनुभूति में
सुशील शर्मा की रचनाएँ-
गीतों में-
खिलखिलाती फूल सी
फूल खिलें जब
सूना पल
सूरज को आना होगा
है अकेलापन
कुंडलिया में-
मकर संक्रांति
दोहों में-
फूले फूल पलाश |
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फूल खिलें जब
जीवन के बिखरे सिहरे पथ पर,
अपनेपन के फूल
खिलें जब
उद्विग्न, दु:खी, तिरस्कृत होकर भी
नि:शब्द विवश, सब कुछ खोकर भी
मन में आस विहास लिये
हँसना अबकी बार
मिलें जब
अर्थहीन नीरस, सपने हों,
टीस बढ़ाते, जब अपने हों
दर्द के कुछ साझे शब्दों में
कहना कुछ तुम ओंठ
सिलें जब
तमस भरी, अंतस की रातें
छल प्रपंच, की सारी बातें
पीड़ा पर्वत शिखर खड़ी हो
मुस्काना आँसू
निकलें जब
१ जून २०२३ |