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दस हाइकु

ठंडी पोरों को
गुनगुनाती धूप
हौले से तापे

लजीली रात
सुबह का घूँघट
ज़रा सा खोलो

नील पुलिन
छिपा है नीलम
नभ सा नीला

गिरि की गोद
नव शहर शिशु
खेले खिलौने

अपार सिंधु
अनिमेष निहारे
नवेली निशा

प्रमदा सिंधु
रेत चमचमाती
वीचि दुकूल

पिंगल पत्ते
पतझर बाँधती
आवारा मन

शैल शृंखला
सूर्य-शिशु छिपाये
निज आँचल

हरित वादी
केसरी अरुणाई
श्वेत है मन

सागर सुने
लहरों का संगीत
चाँद सुनाए

२८ जनवरी २००८

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