अनुभूति में
डॉ. क्षिप्रा शिल्पी की रचनाएँ-
गीतों में-
माँ का आँचल भूल गये
कृष्ण फिर एक बार आओ
हमें तो गर्व है जन्मे है आर्य
भूमि में
छंदमुक्त में-
माँ आपके लिये
अंजुमन में-
अभिलाषा खुशियों की |
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अभिलाषा खुशियों
की
जीतने के लिये बस अगन चाहिए
सोच को कर्म का एक वचन चाहिये
उड़ सके ख्वाब बन के हकीकत सभी
हौसला और दिल में लगन चाहिए
दंश आतंक का चुभ रहा अब हमें
मूल से पाप का अब हनन चाहिये
चुभ रही है मुझे दुश्मनी इस कदर
प्रेम से तरबतर एक वसन चाहिए
देख सकती नहीं सबको' लड़ते हुए
देश को प्रेम का आचमन चाहिए
बन के शिल्पी रचूँ एक भवन प्रेम का
जिसमे खुशियों का बस अंजुमन चाहिए
१ अगस्त २०२२ |