अनुभूति में
शिल्पा अग्रवाल की रचनाएँ
छंदमुक्त में-
ओ प्रिय
सुनो पतझड़
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ओ प्रिय
हरी मिर्च सी तीखी
शक्कर-पारे सी मीठी
आँखों से नींदों की चोरी सी
अनगिन रागों वाली लोरी सी
दूरदर्शन के चित्रहार सी
चिर नवल उपहार सी
जाड़े के ज़ुकाम सी
कमर दर्द में बाम सी
सर्कस के उन्मत्त मंचन सी
सरल मधुर जीवन-दर्शन सी
डार्विन के सिद्धांत सी
उन्मादी कभी शाँत सी
सुबह की चाय के उबाल सी
मधु -सरिता की सतत चाल सी
कुम्हार की साँची कृति सी
मेघों की सरल अभिव्यक्ति सी
वर्षा की रिमझिम फुहार सी
अनुपम अमूल्य अधिकार सी
ओ प्रिय !
ये प्रेम पदावली हमारी कभी मूक -शब्दों के द्वन्द सी,
कभी कविता के मुक्त छंद सी...
मिलकर लिखते रहें हम... सदा-सदा।
ये थोड़ी खट्टी ज़्यादा मीठी चाशनी
घुलती रहे सदा सदा ...
७ जनवरी २०१३ |