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अनुभूति में रोहित कुमार हैप्पी की रचनाएँ —

अंजुमन में-
खुद ही बनाया और बिगाड़ा
झूठ के साए में
दिल तोड़ने आए हो
बात तुम्हारी
मुझको अपने बीते कल में
 

 

बात तुम्हारी

बात तुम्हारी हर इक सच्ची लगती है
दर्द भरी सी ग़ज़लें अच्छी लगती है

किसी डाल से तोड़ कली इक झटके से
कहने लगे वो कलियें अच्छी लगती हैं

छम-छम करती गोरी जाये पनघट को
अपने गाँव की गलियें अच्छी लगती हैं

रूप तुम्हारा देख के ‘रोहित’ दंग हुआ
बोलो किसको परियें अच्छी लगती है

६ फरवरी २०१२

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