अनुभूति में
मनीष जोशी की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
उदारीकरण : उपसंहार
तुम नहीं थीं
प्रभात
भटकटइया फूल
शोय शोय
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शोय शोय (धीरे धीरे)
बुकरा याने कल
आएगा देखा जाएगा
आज का दिन तब तक
सरपट से ढल जाएगा
दूर का घर दूर की शाम
सपनों का सजाया मन का आराम
दूर अभी दूर
उम्मीद या कि खलल
मुश्किल जाने अटकल
काम रहेगा या रह जाएगा
दिन-दिरहम छनते गिनते
कब कठिन गुणनफल मिल जाएगा
डर जवानों ज़बानों से
नए न बनते मकानों से
रुके तो भरपूर
अभी चल, नहीं चल
कहीं चल, कभी चल
बरस का भेस बदल जाएगा
देस जाना है लेकिन अजनबी
नया होना है बदल पाएगा
अब यहाँ तब वहाँ
जो रुका तो कहाँ
कदम पर कदम का नूर
अब बदल नव नवल आज कल
८ जून २०१५ |