अनुभूति में डॉ. हरदीप संधु
की रचनाएँ- छंदमुक्त में-
गधा कौन
मिट्टी का घरौंदा
मेरे गाँव की फिरनी
रब न मिला
हाइकु कविता
हाइकु में-
सात हाइकु |
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गधा कौन ?
गधा कौन ?
मानव जात कहे
मैं हूँ बुद्धिहीन
पता नहीं.....
यह पदवी उसने
मुझे क्यों दी ?
किसी को बेवकूफ़
जब वो कहना चाहे
मेरे नाम से उसे पुकारे
कभी क्रोध न मुझे आया
सूखा - सड़ा घास
जैसा भी डाला
मैने खुशी से खाया
चेहरे पर मेरे
कभी असंतोष न छाया
सुख हो.....
चाहे दु:ख हो भला
कभी न बदलूँ
रहूँ एक सा
चाहे मुझमें हैं ढेरों गुण
पर बेवकूफ़ मुझे कहते तुम
किसी की अच्छाई.....
जो पहचान नहीं सकता
उससे बड़ा बेवकूफ़
हो ही नहीं सकता !!! ३० मई २०११ |