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अनुभूति में गुलशन गंगाधरसिंह सुखलाल की रचनाएँ-

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बिकना इनवेंस्टमेंट था
समय का दाम

 

समय का दाम

पच्चीस रुपए घड़ी!
घड़ी पच्चीस रुपए!
राजधानी की गलियों में
मैंने समय को सस्ते दामों में बिकते देखा है

तुम वहाँ नहीं जाते
तुम्हारी एयर कंडीशन गाड़ी के शीशे
वहाँ नहीं खुलते
वह तुम्हारी घड़ी नहीं है
वह तुम्हारा समय नहीं है

समय वो मेरा हैं
सस्ता और टिकाऊ
इसीलिए तुम हर पाँच साल
कुछ वादों का चिल्लर देकर
मेरे पाँच साल खरीद जाते हो
सस्ते में...

24 दिसंबर 2007

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