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अनुभूति में आरती पाल बघेल की रचनाएँ

छंदमुक्त में—
चलो खुशी ढूँढ लाएँ
तालमेल
नई सुबह

 

नई सुबह

बादल के झीने घूँघट से
निकल रहा है सूरज धीरे–धीरे
पंख पसारे चिड़ियों के गुट
बढ़ते आएँ धीरे धीरे

ठहरी रेत के टीलों पर
ठंडी ओस का गीलापन
अँगड़ाई लेती किरणें
कर रही सुबह का आवाहन

मंद हवा के झोंकों में
झूम रहे तरुवर सारे
शुष्क पवन की खुशबू में
मन पुलकित हो हो मुस्काए

रात की गहराई रजनी की एकाकी
सब छूट रही है धीरे–धीरे
रोम रोम खिलता जाए
संग चढ़ते सूरज के धीरे–धीरे

नयी सुबह है, हैं नये भाव
नई आस है, हैं नये ख्वाब
गुज़र गया कल के संग कल
नई सुबह का नया हिसाब

९ जून २००६

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