अनुभूति में
अर्बुदा ओहरी की रचनाएँ—
क्षणिकाओं में-
पाँच क्षणिकाएँ
हाइकु में—
छे हाइकु
कविताओं में—
तुम्हारा आना
सराहना
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छे हाइकु
(1)
माटी समेटे
सागर की लहरें
सौंधी खुशबू।
(2)
चाँदनी रात
नीम की छाँह तले
जलती आग।
(3)
गरजे मेघ
भीग गया अंतर्मन
हवा है नम
(4)
उठा गगरी
थाम ले ये सागर
मेघ चंचल।
(5)
'मैं' में जकड़ा
सांसों का ये बंधन
सज़ा ही तो है।
(6)
व्याकुल मन
रिमझिम फुहार
जीवंत रात।
24 जुलाई 2007
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