अनुभूति में
उमाशंकर चौधरी
की रचनाएँ-
आग
छोटी खिड़की
हवेली का सच
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छोटी खिड़की
जबकि इस बडे शहर में
बडे-बडे घर हैं और
इन बडे-बडे घरों में हैं बडी-बडी खिड़कियाँ, तब
उसके हिस्से इस छोटे से घर में
छोटी खिड़की आई है।
छोटी खिड़की,
जिससे दिखता है छोटा आसमान
चंद तारे और बादल का एक टुकड़ा।
वह औरत उस छोटी खिड़की से
देखती है गली में, उस सब्जी वाले को
देती है आवाज़ गली में खेलते अपने बच्चों को
और करती है इंतज़ार काम पर से
अपने पति के लौटने का।
छोटी खिड़की कभी बंद नहीं होती।
१३ अप्रैल २००९ |