अनुभूति में
डॉ उमा आसोपा की
रचनाएँ—
कविताओं में
अधूरी बात
मुझे कहने दो
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मुझे कहने दो
मुझे जीने दो
उन्मुक्त
कुछ पल ही सही
ये साँस फिर
इसी जीवन रेखा की परिधि में
सिमट जाएगी
मुझे बहने दो
निश्चिंत
एक दिशा में
मेरा हर जल कण
फिर से
भाप बन
इसी जल स्रोत में
लौट आएगा
मुझे गाने दो
वो राग
प्रभात के पहले पहर का
देखना है मुझे
मेरा स्वर
इस आलाप में
कितनी दूर जाएगा
मुझे सुनने दो
वह स्पंदन
मेरे ही भीतर
जे झनझना रहा है
मुझसे ही अनभिज्ञ
अनसुना
ये अहसास
कहीं शांत हो जाएगा
मुझे कहने दो
और कुछ दिन
हर बात
यह शाब्दिक प्रवाह
इतना बहेगा
खुद–ब–खुद
थक कर सो जाएगा।
२४ फरवरी २००५
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